फर्रुखाबाद के अनंतराम की प्रेरणादायक कहानी जिसने कभी नहीं हारी हिम्मत
दिव्यांग होने के बाद भी फर्रुखाबाद के अनंतराम जिंदगी को दे रहे रफ्तार जज्बा देख आप भी करेगें सलाम
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। भगवान का बनाया हुआ सबसे खूबसूरत तोहफा है इंसान, जो किसी भी चाहत को अंजाम दे सकता है। फिर उसका शरीर भले ही अधूरा क्यों ना हो। हम आपको आज एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जो 80 प्रतिशत विकलांग है, लेकिन आप उनकी लगन और मेहनत देखकर उनके जज्बे को सलाम करेंगे।
यह है फर्रुखाबाद के एक ऐसे अनंतराम की कहानी जो सड़क दुर्घटना के बाद 80 प्रतिशत विकलांग हो गया जिसके बाबजूद भी उसने हिम्मत कभी नहीं हारी। चलने में असमर्थ होने के बाद भी परिवार का खर्च चलाने के लिए अनंतराम ने Zomoto कंपनी में डिलीवरी बॉय का काम करना शुरू किया । अनंत अब तक हजारों लोगों के घरों में खाना पहुँचा चुके हैं। अनंत से जो भी मिलता है, उनके हौसले को सलाम करता है और उनके इस कार्य के लिए उन्हें बधाई और बेहतर जीवन की शुभकामना देता है ।
सड़क से निकल रहे अनंत को हमने उस दौरान कैमरे में क़ैद किया जब वो इटावा बरेली हाईवे पर बने एक रेस्टोरेंट से ऑर्डर लेकर 6 किलोमीटर दूर मोहल्ला ख़तराना में ऑर्डर देने जा रहे थे । जब अनंत फ़ूड ऑर्डर करने वाले ग्राहक आदर्श के घर पहुँचे तो उनके हौसले को देख आदर्श ने भी उनकी जमकर सराहना की ।
अनंत के हौसले उनके लिए प्रेरणा हैं और वे अन्य लोगों के लिए। जब लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर किस्मत से लेकर तमाम चीजों को कोसने के लिए बैठ जाते हैं, अनंत उनके सामने अपने हौसले के साथ उठ खड़े होने, जूझने, लड़ने की प्रेरणा देते हैं।
अनंतराम ने बताया एक एक्सीडेंट के बाद वोट विकलांग हो गया था उसने परिवार का पेट पालने के लिए चेन्नई से ट्राई साइकिल बनवायी और फ़ूड कंपनी में डिलीवरी बॉय का काम शुरू किया ।
उनका घर (गांव) मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर है वो व्हील्चर से रोज वही से आकर शहर में डिलीवरी का काम करता है।