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नाभि का खिसकना पर आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर एवं घरेलु उपचार में रामबाण इलाज :डॉ नवीन सिंह

नाभि का खिसकना पर आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर एवं घरेलु उपचार में रामबाण इलाज :-

पातंजल योगशाश्त्र के अनुसार हमारे शरीर की बहात्तर हजार नाड़ीयों का उगमस्थान नाभि हैं । नाभि हमारे शरीर के मध्य में स्थित हैं । नाभि मानव शरीर का केन्द्र है। नाभि ही गर्भस्थ शिशु का जीवन-स्त्रोत तथा माता एवं गर्भ के बीच का सेतू हैं । मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए नाभि का अपने नैसर्गिक स्थान पर स्थित होना अत्यावश्यक है।

नाभि का खिसकना जिसे आम भाषा में धरण गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं। 

डॉ नवीन सिंह 

आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर खीसकती हैं । नाभि के खिसकने से मानसिक एवंआध्यात्मिक क्षमताएँ कम हो जाती हैं। स्त्री के गर्भाधान के नाभि मध्य में स्थित रहना आवश्यक हैं । 

नाभि का खिसकने के लक्षण 

1.पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता। दर्द के साथ कई बार नाभि खिसकने से दस्त भी लग जाता हैं । 

2.नाभि के खिसक जाने पर कब्ज की शिकायत हो जाती है। और जब तक नाभि अपने स्थान पर नही आती है, तब तक कब्ज ठीक नहीं हो सकता है । पेट में गुड़गड़ाहट की आवाजें आने लगती हैं।

3.नाभि खिसकने पर नेत्रों व बालों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल परिणाम पड़ने लगता है और दाँतों की स्वाभाविक चमक कम होने लगती है । 

3.नाभि स्पंदन नीचे की तरफ चली जाए तो पतले दस्त होने लगते हैं।नाभि स्पंदन दाहिनी तरफ हटने पर लीवर खराब होकर मंदाग्नि हो सकती है। नाभि पेट के ऊपर की तरफ आ जाए तो वायु विकार हो जाता है । 

4.नाभि का स्थान स्पर्श करने से कठोर प्रतीत होती है।

इन लक्षणों का समय पर उपचार नहीं करने पर ह्वदय रोगों, बवासीर, स्त्रयों के मासिक धर्म से सम्बन्घित विविध विकार, सफेद पानी ल्यूकोरिया, हर्निया इत्यादि की उत्पत्ति होनी सम्भव है। 

नाभि खिसकने के कारण ..

1.पेट की मांसपेशियां कमजोर होने से नाभि खिसकने की सम्भावना ज्यादा होती है । 

2.रोज़ के कार्य करते समय शरीर का संतुलन सही नहीं रह पाने के कारण नाभि खिसक सकती है।

3.खेलते समय गलत तरीके से शरीर का उपयोग करना , संतुलित हुए बिना अचानक एक हाथ से वजन उठाना, असावधानी से दाएं या बाएं झुकना, तेजी से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे में अचानक पैर चले जाना .

4.आधुनिक जीवन-शैली में शारीरिक नाड़ियां कमज़ोर पड़ने लगती हैं, जिसकी वजह से नाभि खिसक सकती हैं । 

नाभी के खिसकने का पता करने के लिये अंगूठे से नाभि पर हल्का दबाव डालकर स्पंदन चेक करें। यदि स्पंदन ठीक नाभि पर महसूस होता है तो नाभि सही है। यदि स्पंदन नाभि के स्थान से हटकर ऊपर ,नीचे , दायें , बायें महसूस हो तो नाभि सही स्थान पर नही हैं । 

नाभि खिसकने पर घरेलू आयुर्वेदिक उपचार ..

1.नाभि के खिसकने पर 30 ग्राम सोंफ, गुड समभाग साथ मिलाकर प्रात: खाली पेट सप्ताह रोज खायें। 

2.सरसों के तेल को नाभि पर लगाने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है।

3.250 ग्राम दही में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी को मिलाकर खाने से नाभि अपने स्थान से नहीं हटता है।

4.मरीज को सीधा सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर तीन घंटे के लिये बाँध दें । 

5.मरीज को दिन में दो बार अदरक का 2 से 3 मिलि रस पिलाने से लाभ होता है।

6.प्रातः काल एक चम्मच आंवले का चूर्ण, एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू निचोड़ कर पीने को दें । 

7.शवासन में लेट कर, पेट पर नाभि के ऊपर जलता हुआ दीपक रख कर, गड़वी को उसपर उल्टा रख दें। थोड़ी देर में दीपक बुझ जाएगा और लोटा नाभि क्षेत्र की त्वचा पर चिपक जाएगा। इससे नाभि अपने स्थान पर आयेगी । 

8.बार-बार छींक आने से "नाभि-चक्र" अपने स्थान पर आ जाएगा।छींक आने के उपाय करें । 

9.पश्चिमोत्तानासन, उत्तान-पादासन, धनुरासन, मत्स्यासन उपयोगी हैं।

10.दाहिने हाथ की अनामिका का अग्र भाग नाभि केंद्र पर रखते हुए, उसी हाथ का अंगूठा नाक के अग्र भाग से स्पर्श करने का प्रयास करें।

11.नाभि खिसक जाने पर मरीज को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। 

12.15 से 20 मि .वायु मुद्रा करने से लाभ होता है ।

13.बार बार नाभी खिसकने से परेशान है , तो नाभि को बिठाने के बाद पैरों के दोनों अंगूठे में काला धागा बाँध दे। 

14.सरसों के तेल से पेट की मालिश की जा सकती है।नाभि स्पंदन जो ऊपर नीचे या साइड में अंगूठे से दबाव डालते हुए नाभि केंद में लाने का प्रयास करें।

आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर सिद्धांत पर दाहिने अंगूठा हमारे नाभि चक्र का सादृश्य भाग है इसलिए दाहिने अंगूठे पर ऊपर वाले + पर मेथी की पट्टी बांधने मात्र से एवं अंगूठे के ऊपरी वाले जोरों पर मसाज करने से भी नाभि का खिसकना आश्चर्यजनक रूप से ठीक हो जाता है।

परहेज- गलती से भी भारी वजन ना उठाएं। यदि उठाना भी पड़े तो उसे झटके से ना उठाएं।

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प्रोफेसर डॉक्टर नवीन सिंह ( निदेशक )

संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट / आस्था आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर एवं नेचुरोपैथी होलिस्टिक ट्रीटमेंट एंड ट्रेनिंग सेंटर , कटेश्वर पार्क गांधीनगर बस्ती (उत्तर प्रदेश) 05542281040 , 9415628668

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