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यज्ञ पृथ्वी का आधार है और वेद जीवन का-गोपेश्वर त्रिपाठी

 अभिषेक गौतम की रिपोर्ट



यज्ञ पृथ्वी का आधार है और वेद जीवन का-गोपेश्वर त्रिपाठी

आर्य समाज नई बाजार बस्ती में आयोजित श्रावणी उपाकर्म एवं वेद प्रचार कार्यक्रम में चतुर्थ दिवस की प्रारम्भ वैदिक यज्ञ से हुआ। इस अवसर पर गोपेश्वर -मंजूबाला त्रिपाठी, अभिषेक -शिल्पी त्रिपाठी व सुष्मिता-नितिन पाण्डेय मुख्य यजमान रहे।गोपेश्वर त्रिपाठी ने यज्ञ की महत्ता स्वीकार करते हुए कहा कि यज्ञ वातावरण को शुध्द करता है अर्थात पृथ्वी का आधार है तो वेद जीवन का आधार है। इसको जीवन में धारण करना चाहिए। इस अवसर पर वेदोपदेश करते हुए आचार्य ओमव्रत ने कहा कि सृष्टि का आदि ग्रन्थ वेद हमें बताता है कि यह संसार किसी ने, किसी साधन से और किसी के लिए बनाया है। यदि दुनिया के लोग इन तीन बिन्दुओं पर निष्पक्ष चिन्तन करें तो सम्पूर्ण विश्व में मानवता जाग उठेगी। संसार बनाने वाला सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक होना चाहिए। ये गुण जिसमें है वेद ज्ञान कहता है वही ईश्वर है। इस संसार बनाने वाला ईश्वर है। उसने जिन साधनों से संसार को बनाया उसे प्रकृति कहते हैं तथा जिनके लिए संसार बनाया उसे जीवात्मा कहते हैं। जीवात्माओं के दो लिंग या पहचान हैं स्त्री और पुरुष। वह प्रेरणा मनुष्यों को प्ररणा देता हुआ कहता है कि तुम सभी प्रकृति के पदार्थों का भोग कर सुखी जीवन व्यतीत करो। संसार के सारे भोग मानव मात्र के लिए है न कि किसी सम्प्रदाय विशेष के लिए। अकेला कोई संसार का भोग नहीं करेगा। आवश्यकता है आज कि वेद के इस त्रैतवाद को संसार का हर मानव अपनाए। यही नीव है मानवतावाद की। अतः मनुष्य बनो। इसलिए संसार में उत्पन्न पदार्थों का त्यागपूर्वक भोग करना चाहिए। पंडित नेम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि यज्ञ के तीन अर्थ है -देवपूजा, संगतिकरण और दान इससे जीवन संस्कारमय बनता है।


सायंकालीन कालीन कार्यक्रम में आचार्य ओमव्रत ने बताया कि व्यक्ति की सब कुछ पाने की तृष्णा ही व्यक्ति के दुखों का कारण है। सब कुछ पाने की इच्छा व्यक्ति का सुख चैन सब छीन लेती है। नाना प्रकार के रोग उसे घेर लेते हैं और वह अपने मूल उद्देश्य से भटक जाता है। इसलिए व्यक्ति को अपने शरीर का ध्यान करते हुए परमात्मा के निकट रहने का प्रयत्न करते रहना चाहिए। पंडित नेम प्रकाश ने  जिसने रचा है संसार आओ मानने से पहले उसको जान लें .....गीत प्रस्तुत कर वेद के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया और कहा मानव अपने बनाये गये मन्दिर में तो दीप जलाता है,फूल चढ़ाता है और हर विधि से उसे सुन्दर रखने का प्रयास करता रहता है पर परमात्मा के बनाये इस पावन शरीर रूपी मन्दिर में नाना प्रकार के गन्दे पदार्थों को डालता रहता है जिससे उसका मन्दिर दूषित हो गया है, ऐसी स्थिति में भी उससे कल्याण की अपेक्षा करना महामूर्खता है। गरुण ध्वज पाण्डेय ने बताया कि 17अगस्त को बालाजी मंदिर मेहदावल रोड बस्ती में यज्ञ व प्रवचन का कार्यक्रम सभासद चुनमुन लाल जी के नेतृत्व में आयोजित है।


इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से अभीष्ट नारायण मणि त्रिपाठी, अभिश्री,शिवांश पाण्डेय, वाशिष्टि पाण्डेय, संजू त्रिपाठी, अशोक श्रीवास्तव, सरोज त्रिपाठी,रोली त्रिपाठी एवं साक्षी त्रिपाठीआनन्द स्वरूप सिंह कौशल, अजयअग्निहोत्री,  विश्वनाथ आर्य, राधेश्याम आर्य, कार्तिकेय, वैष्णवी, शिव श्याम, चतुर्वेदी, चंद्रप्रकाश चौधरी, संतोष कुमार पाण्डेय, अनूप कुमार त्रिपाठी देवव्रत आर्य सहित अनेक लोग सम्मिलित रहे।


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