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क्या आप जानते हैं पौधे अपना भोजन कैसे बनाते हैं

नवमीत नव की रिपोर्ट 

 Hey there, curious minds! How are you all? 

अब जबकि यह ऊर्जा हमारी पृथ्वी तक पहुंच गई है तो यहाँ शुरू होती है हमारी आज की कथा, जिसका नाम है फ़ोटोसिंथेसिस यानी प्रकाश संश्लेषण। 


बढ़िया? ओके तो...

आज का सवाल! 

क्या आपको पता है कि पौधे अपना भोजन कैसे ग्रहण करते हैं? जाहिर हमारी तरह तो निवाले चबा कर तो नहीं निगलते। राइट?

लेकिन उनके पास एक सुपर कूल तरीका है जिसकी मदद से वे न केवल अपना बल्कि हमारा भोजन भी तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया को Photosynthesis यानी प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है। तो आइए चलते हैं प्रकाश संश्लेषण की अमेजिंग दुनिया में और सीखते हैं कि यह कैसे काम करता है!


लेकिन उससे पहले एक छोटी सी कॉस्मिक यात्रा। 

यह सब शुरू होता है सूर्य के गर्भ में, जहाँ तापमान और दबाव इतना अधिक है कि हाइड्रोजन के परमाणु एक दूसरे से जुड़कर हीलियम के परमाणु बनाने लग जाते हैं।

आपको पता ही है इस प्रक्रिया को क्या कहते हैं?

बिलकुल सही... नाभिकीय संलयन।


अब बात ये है कि इस प्रक्रिया में सिर्फ हाइड्रोजन से हीलियम नहीं बन रहा, बल्कि बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा भी निकल रही है। यह ऊर्जा, जिसे सौर ऊर्जा या कॉस्मिक ऊर्जा कहना भी ठीक रहेगा, सूरज की विभिन्न परतों से गुजरती हुई सबसे बाहरी परत में पहुँचती है। इस बाहरी परत का नाम है फोटोस्फियर। इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक तरंगों व प्रकाश के रूप में फोटोस्फियर से निकल कर यह ऊर्जा लगभग 8 मिनट और 20 सेकण्ड्स की यात्रा अंतरिक्ष में तय करती है उस जगह तक पहुँचने में जिसे कहते हैं..... धरती।


अब जबकि यह ऊर्जा हमारी पृथ्वी तक पहुंच गई है तो यहाँ शुरू होती है हमारी आज की कथा, जिसका नाम है फ़ोटोसिंथेसिस यानी प्रकाश संश्लेषण। 


यह कथा आज से करोड़ों वर्ष पहले शुरू हुई थी। उस काल में धरती पर सूक्ष्म जीवों का बोलबाला होता था। उन्हीं में से थे नीले हरे रंग के बैक्टीरिया जिन्हें हम सायनोबैक्टीरिया कहते हैं। इनके बारे में हम पहले भी पढ़ चुके हैं इसलिये आज इनकी चर्चा संक्षिप्त ही रहेगी। (पुरानी पोस्ट का लिंक कमेंट में दे दिया है।)

सायनोबैक्टीरिया को ब्लू ग्रीन एल्गी यानी नीली हरी काई भी कहा जाता है लेकिन ये होते बैक्टीरिया ही हैं। आज से लगभग ढाई सौ करोड़ वर्ष पहले ये वे पहले प्राणी थे जिन्होंने प्रकाश संश्लेषण शुरू किया था। प्रकाश संश्लेषण के जरिये इन्होंने धरती के वातावरण को ऑक्सीजन से भर दिया जिसने उस वक्त की लगभग तमाम जैव विविधता का खात्मा कर दिया। वैज्ञानिक इसे महान ऑक्सीजन विभीषिका का नाम देते हैं। लेकिन इस विभीषिका ने नए और जटिल जीवन के लिये मार्ग प्रशस्त कर दिया था। 


सायनोबैक्टीरिया आज के पेड़ पौधों के पूर्वज हैं। प्रकाश संश्लेषण की उनकी यह खूबी करोड़ों वर्षों तक पीढ़ी दर पीढ़ी पास होते होते पेड़ पौधों तक पहुंची। आधुनिक वनस्पति जगत का विकास इन्हीं सायनोबैक्टीरिया से हुआ है। 


ओके लेकिन तुम तो यह बताने वाले थे कि प्रकाश संश्लेषण क्या होता है! 


हां! प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हरे पेड़ पौधे, काई और कुछ बैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश, पानी और कार्बन डाइऑक्साइड की मदद से अपना भोजन बनाते हैं। इस प्रक्रिया से न केवल पेड़ पौधों का बल्कि हमारा और अन्य प्राणियों का भोजन भी तैयार होता है। साथ में बाई प्रोडक्ट के तौर पर ऑक्सीजन का भी निर्माण होता है जिसको हम सांस के द्वारा ग्रहण करते हैं और अपनी तमाम गतिविधियों के साथ जिंदा रहते हैं। अगर प्रकाश संश्लेषण न होता तो धरती पर आज जो जीवन है वह नहीं होता।


लेकिन नवमीत, प्रकाश संश्लेषण काम कैसे करता है? कैसे पेड़ पौधे इसकी मदद से अपना भोजन बनाते हैं?


गुड क्वेश्चन! इसको हम बिलकुल साधारण शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे। 


सबसे पहले सूर्य का प्रकाश। हमने पहले ही पढ़ लिया है कि सूर्य के केंद्र में होने वाली नाभिकीय संलयन प्रक्रिया से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जो प्रकाश के रूप में धरती तक पहुंचती है। इसका प्रयोग पौधे प्रकाश संश्लेषण के लिये करते हैं। 

इसके बाद पौधों की पत्तियों में और सायनोबैक्टीरिया में एक हरे रंग का पिगमेंट होता है जिसे क्लोरोफिल कहा जाता है। यह पौधों का सोलर पैनल है। इसकी मदद से पौधे सौर ऊर्जा को ग्रहण करते हैं। 

फिर होता है पानी जो मिट्टी में होता है। पौधे इसे अपनी जड़ों के माध्यम से मिट्टी से ग्रहण करते हैं। जड़ों (यानी पैरों) से पानी व पोषक तत्व ग्रहण करने के कारण पौधों को पादप भी कहा जाता है। पानी का फॉर्मूला आपको पता ही है। H2O.


उसके बाद कार्बन डाइऑक्साइड। यह वायुमंडल से मिलती है जिसको पौधे अपने पत्तों में मौजूद छोटे छोटे छिद्रों, जिन्हें स्टोमेटा कहा जाता है, की मदद से ग्रहण करते हैं। 


यह सारा कच्चा माल पौधों के पत्तों में इकट्ठा होता है। क्लोरोफिल और सूर्य के प्रकाश की मदद से पानी (H2O) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की प्रक्रिया करके ग्लूकोज (C6H12O6) और ऑक्सीजन का निर्माण किया जाता है। पूरी इक्वेशन कुछ इस प्रकार की होती है :-


6CO2 + 6H2O → C6H12O6 + 6O2


मतलब कार्बन डाइऑक्साइड के 6 मॉलिक्यूल और पानी के 6 मॉलिक्यूल आपस में क्रिया करते हैं और ग्लूकोज के एक मॉलिक्यूल व ऑक्सीजन के 6 मॉलिक्यूल्स का निर्माण करते हैं। प्रक्रिया करने हेतू आवश्यक ऊर्जा पौधों को सूर्य के प्रकाश से मिलती है जिसे वे क्लोरोफिल की मदद से अवशोषित करते हैं। 


 क्लोरोफिल क्या है?


क्लोरोफिल को हिंदी के पर्णहरिम या पर्णहरित कहा जाता है। यह वह पदार्थ है जो पौधों को हरा रंग प्रदान करता है। यह प्रकाश को अवशोषित करता है ज्यादातर नीली और लाल रोशनी को। लेकिन हरी रोशनी तरंगों को यह लौटा देता है। यही कारण है कि पौधों का रंग हमें हरा दिखता है। इसके द्वारा अवशोषित प्रकाश ऊर्जा की मदद से प्रकाश संश्लेषण होता है।


 इस प्रक्रिया की मदद से जो ग्लूकोज बनता है, उसका पौधे क्या करते हैं?


करना क्या है? वे इसका भोजन के तौर पर प्रयोग करते हैं। ग्लूकोज उन्हें ऊर्जा प्रदान करता है जिसकी मदद से वे वृद्धि करते हैं, प्रजनन करते हैं और अन्य प्रक्रियाएं करते हैं। इसका वे स्टार्च के तौर पर संग्रह करते हैं ताकि जरूरत के समय स्टार्च से ग्लूकोज बनाकर प्रयोग किया जा सके। इसकी मदद से सेल्यूलोज बनाते है। सेल्यूलोज वह कार्बोहाइड्रेट है जो पौधों की कोशिका भित्ति यानी सेल वॉल का निर्माण करता है और पेड़ पौधों को आकृति प्रदान करता है।


और ऑक्सीजन?

 पौधे अपने स्टोमेटा छिद्रों के द्वारा ऑक्सीजन को वायुमंडल में छोड़ देते हैं। यह वही ऑक्सीजन है जिसे हम सांस के द्वारा ग्रहण करते हैं। सो...every time you take a deep breath, thank a plant!


 अब कुछ इंट्रेस्टिंग बातें ।

- कुछ पौधे ऐसे होते हैं जो सूरज का प्रकाश मिलते ही सेकंड के छोटे से हिस्से में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। 

- धरती पर मौजूद पादप जगत हर साल 130 बिलियन टन ऑक्सीजन का निर्माण करता है। 

- पिछले ढाई सौ करोड़ वर्षों से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया धरती पर अनवरत जारी है।

- प्रकाश संश्लेषण के कारण धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर आवश्यकता से अधिक नहीं हो पाता। हालांकि अब कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर थोड़ा सा बढ़ने लगा है जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की विकराल समस्या खड़ी हो गयी है। 


तो हमने आज क्या जाना?

प्रकाश संश्लेषण सुनने में एक बहुत बड़ी और जटिल प्रक्रिया लगती है लेकिन असल में यह एक साधारण जैव रासायनिक प्रक्रिया है जो धरती पर जीवन के लिए अति आवश्यक है। यह हमारे ग्रह को ऑक्सीजन से परिपूर्ण रखती है, जीव जगत को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से भोजन उपलब्ध करवाती है। हमारे ग्रह को स्वस्थ और हराभरा रखती है। 

और यह कि पेड़ पौधे लगातार हमारी दुनिया को जिंदा रखने के लिये कठिन परिश्रम कर रहे हैं। 

इसी के साथ हमारी कहानी की इतिश्री होती है।

आपको यह कहानी कैसी लगी? कमेंट में जरूर बताइयेगा। 

इस पोस्ट को शेयर करें, खासतौर पर बच्चों के साथ। क्योंकि यह लिखी ही बच्चों के लिये है।



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