कलयुगी बेटे ने पिता को झांसे में लेकर लिखवाई अपने नाम जमीन पिता को छोड़ा लावारिस हालत में स्टेशन पर
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र से एक सनसनीखेज का मामला सामने आया है। एक कलयुगी बेटे ने अपने पिता से की सारी जमीन अपने नाम करवा ली और अपने पिता को स्टेशन पर छोड़कर लापता हो गया। पूरा वाक्य जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे आपको बता दें कि पिता को घुमाने के बहाने महाराष्ट्र के परभणी से निकला था बेटा लेकिन जैसे ही देवास स्टेशन आया बेटे ने कहा पिताजी मैं आपके लिए कुछ खाने पीने का इंतजाम करता हूं और पुत्र वापस लौट कर नहीं आया। ट्रेन चली गई लेकिन बेटे का कोई अता पता नहीं था इस पूरे मामले में कलयुगी बेटा पिता के हाथ पैर दबाता रहा जिसे पिता को यह लगा कि उनका बेटा उनको तीर्थ यात्रा पर ले कर जा रहा है। करीब 25 दिन तक बुजुर्ग पिता स्टेशन पर ही बैठकर बेटे का इंतजार करते रहे कि शायद कहीं किसी और से उनका बेटा लौट ही आएगा लेकिन यह बात झूठी साबित हो गई उनका बेटा वापस नहीं आया।
बेटे ने जमीन और मकान अपने नाम करवा लिया
बुजुर्ग का नाम पांडुरंग राठौर है जिनको अब वृद्ध आश्रम पहुंचा दिया गया है बेटे ने पिता को अपने झांसे में लेकर 4 एकड़ जमीन और मकान अपने नाम करवा लिया पिता को घुमाने के बहाने महाराष्ट्र के परभणी से निकला था। पिता को लगा कि उनका बेटा उनके लिए सामान लेकर लौटे का लेकिन जो छोड़कर ही चला जाए वह आखिर कैसे लौटता कपड़ों सहित अन्य सामान का बैग भी बेटा अपने साथ लेकर फरार हो गया बुजुर्गों रेलवे स्टेशन के बाहर आसपास के दुकानदारों ने देखा तो उनको दया आई और उन्होंने खाने के लिए भोजन और पानी का इंतजाम किया इतना खुद्दार था कि वह भूखा रहा लेकिन भीख नहीं मांगा दुकानदार ने उनसे बात करने के बाद जिला अधिकारियों को बताया तब जाकर इसी हफ्ते वृद्धाश्रम बसेरा में उनको प्रवेश दिलवा दिया गया है।
बुजुर्ग का क्या कहना है..... 4 एकड़ जमीन और मकान बेटे ने करवा लिया अपने नाम
वृद्ध आश्रम में रह रहे 75 वर्षीय पांडुरंग राठौर निवासी जिंतूर जिला परभणी महाराष्ट्र ने बताया मेरे नाम से 4 एकड़ भूमि और मकान है लेकिन एक माह पहले बेटे सुभाष ने अपने झांसे में लेकर मुझसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाकर जमीन और मकान अपने नाम करवा लिया इसके कुछ दिन बाद कहने लगा पिताजी चलिए आपको तीर्थाटन करा कर लाता हूं ट्रेन में उसने मेरे हाथ पैर भी खूब दबाए लेकिन जैसे ही देवास स्टेशन आया वह मुझ को उतारकर यह बोला कि मैं आपके लिए कुछ खाने पीने का सामान लाता हूं उसके लेकिन वह एक महीने बाद भी वापस नहीं आया मेरे आश्रम में कुछ दिन पहले आई 68 वर्षीय पुष्प लता पति बसंत लाल जैन निवासी देवास ने बताया शादी के बाद बच्चे नहीं हुए 15 साल पहले पति का निधन हो गया मैंने बस स्टैंड के पीछे कुमार गली में चाय की दुकान चलाई रसोई में भोजन बनाने भी जाती थी कुछ साल से बेंगलुरु भोजन बनाने के लिए चली गई थी आत्मनिर्भर होकर अपना काम करती थी अब हाथ पैर थक गए एक आंख से भी नहीं दिखता तो आश्रम में आ गई पहले आश्रम में आकर मैंने अपने पैसों से फल खरीद कर बुजुर्गों को वितरित भी किए अब मुझे ही आना पड़ा है अच्छा हुआ मेरे बच्चे नहीं है हो सकता वह भी मुझे पांडुरंग राठौर की तरह घर से निकाल देते हैं या किसी स्टेशन पर इसी तरीके से बेसहारा छोड़ देते जब उम्र के आखिरी दिन आश्रम में बुजुर्गों के बीच में रहकर गुजार लूंगी। आश्रम संचालक दिनेश चौधरी को ही अपना बेटा मानते हुए वह कहती हैं कि वही मुझे कंधों पर लेकर अंतिम यात्रा पर जाएगा। संचालक दिनेश चौधरी ने बताया कि वर्तमान में आश्रम में कुल 24 महिलाएं और 19 पुरुष रह रहे हैं कुछ दिन पहले ही पांडुरंग व पुष्प लता जैन को प्रवेश दिया गया है बुजुर्ग राठौर को दुकानदारों के आवेदन पर कलेक्टर ने और महिला ने स्वयं कलेक्टर को आवेदन दिया जिस पर उन्हें आश्रम में लाया गया है।