स्वप्निल की कलम से
किसी दिन
इस गुलाब को
तुम्हारे प्रिंस कोर्ट में टांककर
मैं तुम्हे दिखाउंगी कि
गुलाब में
और तुममें
कोई अंतर नहीं है
गुलाब भी
काँटों से उलझकर मुस्कुराता है
और तुम भी
हर उलझन पर
अपने मोती उड़ेल देते हो
उसने कहा था!
#HappyRoseDay
#स्वप्निल