स्वप्निल
गांधी आज भी प्रासंगिक हैं उनके विचार उनका व्यक्तित्व एवं उनकी आलोचना गांधी के ना होने के बाद भी जीवित हैं
अगर आइंस्टीन कहते हैं कि भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर आश्चर्य होगा कि, हाड़-मांस से बना ऐसा भी कोई व्यक्ति कभी धरती पर आया था !
अंबेडकर लाख मतभेद के बावजूद गांधी का आमरण अनशन तुड़वाने के लिए, समझौता करने तक पर राजी हो जाते हैं !
लाख मतभेद के बावजूद सुभाष चन्द्र बोस, अगर गांधी को राष्ट्रपिता कहते हैं !
एक 78 साल का बुजुर्ग, जिसके पाँव पहले से कब्र में हैं, पर उसका प्रभाव ऐसा है कि, अगर उसे भी मारने के लिए बंदूक का सहारा लेना पड़े, और सीने में एक नहीं, कुल जमा तीन गोलियां मारनी पड़े !
तो गांधी में बहुत बड़ी बात है प्यारों ! आलोचनाओं से पड़े नही हैं गांधी, पर इतने भी बड़े अपराधी नहीं, कि आज उनकी मृत्यु के इतने साल बाद भी, आप उनकी फोटोज पर अपमानजनक मीम्स बनाकर उनका मानमर्दन करते रहें !
जन्मदिवस पर महात्मा को नमन ! जय जय !