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BSA ने रिक्शा चालक को बना दिया टीचर और भेज दिया 51 लाख का नोटिस : विभाग ने मानी गलती

रिक्शा चालक को BSA ने भेजा 51 लाख का नोटिसः श्रावस्ती में पीड़ित बोला- हाथों में पड़े छाले देखिए, मजदूर हूं; विभाग ने मानी गलती 

 

श्रावस्ती।यूँ तो सरकारी अमला नित नये अजब गज़ब कारनामे करता रहता है। ऐसा ही एक कारनामा शिक्षा विभाग से सामने आया है। पीड़ित ने कहा की 'शिक्षा विभाग से नोटिस मिला है। साहब... हम कहां से इतना पैसा भरें। मैं रिक्शा चलाता हूं। देख लीजिए... हाथ में छालों के निशान पड़े हैं। हम अपने बच्चों को कैसे रखते हैं, हम ही जानते हैं। कहां से किस्त भरें। जब से नोटिस मिला है, तब से हमने खाना नहीं खाया। नोटिस लेकर इधर-उधर भाग रहे हैं।'

आपको बता दें की यह पीड़ा है श्रावस्ती के एक  रिक्शा चालक का, जिसे शिक्षा विभाग ने फर्जी शिक्षक बताते हुए 51 लाख रुपए का रिकवरी नोटिस भेजा। नोटिस देखकर गरीब रिक्शा चालक के हाथ-पाँव फूल गए। उसने बिलखते हुए कहा, 'रिक्शा चलाकर हाथ में छाले पड़ गए हैं। हम 51 लाख रुपए भला कैसे देंगे?'

 जानिए क्या है पूरा मामला...

यह पूरा वाकया  श्रावस्ती जिले के भिनगा कोतवाली के गौड़पुरवा का है। गांव निवासी मनोहर यादव दिल्ली में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। इन दिनों वह गांव आया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार की तरफ से 12 दिसंबर को जारी एक लेटर उसे मिला। लेटर प्रधान ने मनोहर को रिसीव कराया।


मनोहर को जब इस बात का पता चला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। नोटिस में यह लिखा गया कि मनोहर यादव ने फर्जी तरीके से शिक्षक बनकर नौकरी की। 51 लाख 63 हजार 53 रुपए वेतन के रूप में अवैध तरीके से लिया है। यह रकम एक हफ्ते में वापस ना जमा होने पर कुर्की जैसी कार्रवाई की जाएगी।

बीएसए से मिलकर मनोहर ने किया शिकायत 

पीड़ित मनोहर का वीडियो वायरल हुआ और वह बीएसए ऑफिस भी पहुंचा। मनोहर ने बीएसए से पूरे मामले की शिकायत की। दलील सुनने के बाद बीएसए के निर्देश के बाद जांच की गई। आरोपी के फोटो के साथ मनोहर की फोटो का मिलान किया। पाया गया कि दोनों अलग-अलग व्यक्तियों की फोटो हैं। इसके बाद विभाग ने नोटिस को निरस्त कर दिया।

जांच में पता चला कि अंबेडकरनगर के एक फर्जी शिक्षक सुरेंद्र प्रताप सिंह की बजाय विभागीय लापरवाही के चलते यह नोटिस गलती से श्रावस्ती के रिक्शा चालक मनोहर लाल यादव को चली गई थी। लापरवाही उजागर होने के बाद विभाग ने आनन-फानन में नोटिस को निरस्त किया और प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए स्पष्टीकरण भी दिया।

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