Type Here to Get Search Results !

रेडियो हमेशा बजता रहेगा हमारे ख्यालों में

मयंक श्रीवास्तव की कलम से

रेडियो हमेशा बजता रहेगा हमारे ख्यालों में 



दुनिया कितनी ही रफ़्तार से क्यो न बढ़ जाये मगर मनोरंजन के साधनों में जो मुकाम रेडियो का रहा है वो किसी और को हासिल नही ये इसलिए महत्वपूर्ण है कि रेडियो के अलावा कोई भी चीज ऐसी नही जिनमे आप अपने काम भी करते रहें और मनोरंजन भी होता रहा: आज जब दुनिया फाइव जी की तरफ आंखे गड़ाए बैठी है तो रेडियो अपने जीवन के अंतिम दिनों में एफ एम के बदौलत बज रहा है।


कभी जिंदगी अल सुबह उठ कर तानपुरे के राग में इस कदर जुड़ती कि पूछिए मत मानस की चौपाई के बजते स्वर के साथ बढ़ता हुआ दिन प्रादेशिक समाचारों के प्रसारण तक बेहद जिम्मेदार हो जाता और सुबह उठने वाली पीढ़ी दैनिक जीवन से होते हुए अपने काम पर निकल जाते उधर दिन के काम को निपटाकर लोग जब आंगन या बरामदे में इक्कठे होते तो फिर वही रेडियो लोगो का मनोरंजन करता कभी मैनावती देवी के गीत तो कभी जुगानी भाई की बतकही से दोपहर आगे बढ़ती हुई शाम की तरफ बढ़ने लगती वहा से उठकर लोग लालटेन लैंप को झार पोंछ कर अपनी चोटी पाटी करती उधर रेडियो फिर से बैठक खाने में पहुंच जाता ।


दिनभर जिंदगी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता शाम होते होते लोग अपने घरों में दाखिल होते । शाम के नाश्ते के साथ रेडियो पर दिन भर गतिविधियां चलती रहती और बढ़ती हुई रात के साथ प्रादेशिक समाचारों में सारी बाते मालूम हो जाती बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट के समय तो बड़े छोटे सभी कान लगाए रहते समाचार खत्म होते ही रात के खाने की तैयारी शुरू हो जाती और रेडियो फिर घर के भीतर से होता हुआ छतों पर पहुंच जाता जहा आल इंडिया उर्दू सर्विस सिलोन, नेपाल और नजीबाबाद से सुर संगीत के नगमे बड़ी रात तक चलते रहते।

क्रिकेट मैच के दौरान ये धारणाएं बदल जाती और विशेषकर भारत पाकिस्तान के मैच में तो पूछिए मत आसपास कोई जरा सा भी बोल दे तो उसकी शामत होती । 

इसी तरह स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर पूरे कार्यक्रम का प्रसारण चलता रहता।

संगीत प्रेमियों के लिए बड़े अच्छे कार्यक्रम होते जिसमे लोग अपने मनपसंद कलाकार के इंटरव्यू सुनते। देश की आजादी के समय लोगो के होने की जानकारी भी रेडियो के जरिए लोग जान पाए।

रविवार को बाल सभा का कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय कार्यक्रम हुआ करता था कुछ जगहें तो इतने पापुलर हो गए थे कि पूछिये मत फरमाईस के कार्यक्रम में नरकटियागंज ,सिवान नजीबाबाद के नाम मैंने पहली बार रेडियो से जाने । कविसम्मेलन मुशायरा जिले की चिट्ठी इत्यादि कार्यक्रम भी बहुत रोचक होते थे जिसमें नई प्रतिभाओं को अवसर मिलता था ।


दुनिया कितनी ही रफ़्तार से क्यो न बढ़ जाये मगर मनोरंजन के साधनों में जो मुकाम रेडियो का रहा है वो किसी और को हासिल नही ये इसलिए महत्वपूर्ण है कि रेडियो के अलावा कोई भी चीज ऐसी नही जिनमे आप अपने काम भी करते रहें और मनोरंजन भी होता रहा: आज जब दुनिया फाइव जी की तरफ आंखे गड़ाए बैठी है तो रेडियो अपने जीवन के अंतिम दिनों में एफ एम के बदौलत बज रहा है।

आज भी गाड़ी से चलते समय एफ एम से जिंदगी में बोरियत नही होती जिसमे समाचार सद्विचार और फरमाइसी गाने तो आते ही हैं साथ ही तमाम नए लोगो को अवसर भी मिल रहे हैं।

आज संवाद और मनोरंजन दोनो ही मोबाइल पर उपलब्ध है किंतु रेडियो ही एक ऐसा यंत्र है जिसमे हम जुड़ कर भी दूसरा काम कर लेते है।

 रेडियो की प्रासंगिकता कभी खत्म नही होगी वो हमारे ख्यालों में यात्राओं में बजता रहेगा भले ही उसके अंदाज़ बदल गए हों।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Web Sitesine Hava Durumu Widget HTML Göm
विज्ञापन के लिए संपर्क करें - 7379362288

Below Post Ad