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तो आइए सर्दियों का स्वागत करें

तो आइए सर्दियों का स्वागत करें

 मयंक श्रीवास्तव की कलम से 


बदलते मौसम में जब धूप की कतरने हल्की सी सिहरन के बीच गुनगुनी लगने लगे तो उसे आम बोल चाल की भाषा में गुलाबी ठंडक कहते है। रसोई में उबलते चाय के पानी में से तुलसी अदरक की रूहानी खुशबू से हर सुबह जायके के साथ घूंट घूंट उतरने वाली चाय सुस्ताई हुई सुबह को रुमानी बना देता है और चंहकती हुई धूप हजारों अफसानों को लिए एक नए दिन शुरुआत करती है।

क्यारियों में गुलाब की आती हुई कलियां अलसाई सी आंखे खोलती है और पास में खिली गुलदाऊदी के रंग उसे आत्मविभोरकर देते हैं ।

उधर ची ची करती हुई चिड़ियां आकाश में उड़ती हुई जाने कब तितिलियों और भौरो को न्योता दे आती है कि जल्दी आना क्यारियों में फूल खिलने लगे हैं इधर चिड़िया तिनकों तिनकों से घनी डालो के बीच अपने नए आशियाने का सृजन करती है मुझे आज भी याद है कि जब धान की फसल से चावल कुटा के आते तो थोड़ा अधिक चावल आंगन में बिखेर दिया जाता क्यों कि पक्षियों की नई पीढ़ी कुछ दिन बाद हमारे बीच आने को होते ये व्यवहारिक  ज्ञान हमे ऋतुवें सिखा देती थी।

सर्दी में सब्जियों के जायकों में खिली हुई गोभी के फूल और मूली पहले आवकों में रहते हैं और आकर उन जगहों पर बैठ जाते जहां कल तक भिंडी और परवल का साम्राज्य होता था कल तक बा मुश्किल से मिलने वाली धनिया की पत्ती अब चर्चाएं आम हो रही है वो मुस्कुराती हुई हर थैलों में नजर आने लगती है जो दाल सब्जी सलाद पर सर्दियों के रंग से इस तरह निखरती कि खाने वाला वाह वाह कर देता ये सब्जियां भी हमे मौसम के साथ जीना सिखाती साथ ही पालक की हरी हरी पत्तियां ओस की बूंदों से नहाई ताजगी का एहसास कराती हैं ।

सड़कों से निकलते ही जमीन पर छोटी सी जगह पर मिट्टी के चूल्हे और इन पर चढ़ी कड़ाही में बालू के साथ गर्म होती मूंगफलियां इन सर्दियों के सच्चे हमसफर होते हैं जो गरीब से अमीर की उंगलियों में आते ही चुटकियों के बीच उतरते छिलके उछलते हुए कब जुबान पर आ जाते हैं इसका अंदाजा तब लगता है जब हथेलियों की मुंगफली खत्म हो जाती है। शाम को लौटते हुए लोग रेहड़ी और ठेलो से गर्म मुंगफलियो के साथ घर पहुंचते है।

इतवार और छुट्टियों के दिन अलसायी हुई रहती है दोपहर में आती हुई धूप के साथ बढ़ते हुए मूगफलियो का जायका पुराने किस्सों के साथ मिलकर अजीब रूमानियत भर देते हैं।

इन सर्दियों में सबसे पहले बच्चो के ड्रेस हमे सर्दियों का एहसास कराते है फुल आस्तीन के कपड़े हाफ स्वेटर से  सुबह में हर सड़क और गालियां कुछ अलग ही नजर आती है बाजारों के रंग भी बदलने लगते हैं दुकानों पर कल तक सूती कपड़ों का गुमान गत्तों में बंद होकर उनकी जगह ऊनी कपड़े नजर आने लगते हैं।

इस गुलाबी ठंड के आते ही हमारे रहन सहन से लेकर पहनावे में बदलाव शुरू हो जाता है । घर के पंखे कूलर ए सी एक लम्बी छुट्टी पर चले जाते हैं।

अंगीठी हीटर दस्ताने मफलर आने वाले दिनों की जरूरतों में शामिल होते हैं।

तो आइए आती हुई सर्दियों का स्वागत करें।

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