Type Here to Get Search Results !

कुत्ता एक सभ्य नागरिक है

कपिल शर्मा की कलम से 



गाजियाबाद में कुत्ता मालकिन ने अपने कुत्ते से लिफ्ट के भीतर बच्चे को कटवा दिया और उसका आनंद लिया। खुद का कुत्ता दूसरे को काटे, इसका अभूतपूर्व आनंद कुत्तामालिकों को मिलता है। मुझे पहली बार कुत्ते ने तब काटा था जब मैं आठ साल का था और कानपुर में एक संकरी गली में उस पार जाना चाहता था जहां एक कुत्ता मालिक ने अपना कुता लेटा रखा था। मैं डर रहा था लेकिन कुत्ता मालिक ने कहा कुत्ते के ऊपर से निकल जाओ, ये नहीं काटता है, मैंने डर के आगे जीत की हुंकार भरी और अपने पैर को आगे बढ़ाया तभी कुत्ते ने जबड़े में मेरा पैर फंसाया, दोबारा कुत्ते ने मुझे तब काटा जब मैं 12 साल का था और मेरी नानी ने मोहल्ले की एक दर्जी के यहां उनकी साड़ी लेने भेजा, उनका कुत्ता बहुत ही बदमाश था और सड़कछाप कुत्तों की सरेआम पिटाई करते हुए उसे मैंने कई बार देखा था। शायद किसी पिल्ले को बचाने के क्रम में एकाध बार मैंने उसे ढेला दिखाकर धमकाया भी हो। 

उस दिन मेरा समय खराब था, मैंने दर्जी आंटी का अधखुला दरवाजा खटखटाया और उनका सड़कछाप गुंडा कुत्ता जो घर में पालतू बन कर रहता था वो आया और उसने मुझे जर्बदस्त काटा। तब पेट में पहली बार मैंने 9 इंजेक्शन लिये और एक तशरीफ में लिया। तीसरी बार मुझे कुत्ते ने ठीक अगले साल तब काटा जब मैं नये शिफ्ट हुए पड़ौसी के घर प्रसाद देने गया था और उनके अंग्रेजी कुत्ते वाले नाम के कुत्ते ने सोफा सेट के नीचे से छुपकर मुझे काट लिया। मुझे पता नहीं था कि उनके घर में कुत्ता भी है। इन सभी मामलों में किसी भी कुत्ता मालिक ने कभी गलती अपने कुत्ते की नहीं मानी बल्कि मुझे ही कुसूरवार ठहराया। मेरे एक घनिष्ठ मित्र है, उन्होंने एक दैत्य स्वरुप कुत्ता पाल रखा है। वे चाहते है कि उनके कुत्ते से हर कोई अपना गाल चटवाये, क्योंकि इससे ज्यादा मोक्ष प्राप्ति का कारण इस जीवन में कुछ और हो नहीं सकता और उनका कुत्ता इस निमित्त ही इस धरतीलोक में आया हो। इसके साथ ही वे बड़े गर्व से हमेशा मिलने पर ये भी बताते है कि पिछले सप्ताह ही जब उनके घर कोई आया था तो उनके कुत्ते ने कैसे उसके हाथ को नोंचा और काटा। ये बताते समय उनके चेहरे पर असीम आंनद और शांति का अनुभव होता है। 

इस दौर में खून के रिश्ते मिलावटी हो चुके है इसलिए कुत्ता मालिक भी बेचारे कुत्तों के भरोसे हैं और कुत्ते उनके इस भरोसे का फायदा उठाकर बिगडैंल औलाद की तरह व्यवहार कर रहे है, वादा निभाते हुए कुत्ता मालिक उन्हें बचा रहे है। कुत्ते सामाजिक रुप से सजग है और पूंजीवादी, बाजारवादी प्रक्रिया में अपनी जगह बनाकर कुत्ता मालिक को नाच नचाने का पैंतरा जान चुके है। ये विरोधाभास का दौर है, मां को नोंच कर मारने वाले कुत्ता  ज्यादा प्रिय हो सकता है,तड़प कर हुई मौत बड़ा सवाल नहीं है। पशु अधिकार वालों के लिए ये प्रगति का दौर है, मानवाधिकारों से ज्यादा कुत्तों के अधिकारों का दौर है। ये लोकतंत्र का ऐसा दौर है जब दिमागी बीमार लोग सामूहिक रुप से मिलकर अपने सैडिस्ट व्यवहार को अधिकार का नाम देंगे और पूरे समाज के सामने उसे प्रगतिशील साबित कर देंगे। ये दौर बराबरी का भी है, ऐसी बराबरी जब कुत्ते और मालिक में अंतर नाममात्र का रह गया है।



नोट जिन कुत्ता मालिकों को बुरा लगे, वे शौक से मुझे unfriend कर सकते है क्योंकि हर कुत्ता मालिक को ये भ्रम रहता है कि उन्होंने अपने कुत्ते की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है और उनका कुत्ता एक सभ्य नागरिक है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Web Sitesine Hava Durumu Widget HTML Göm
विज्ञापन के लिए संपर्क करें - 7379362288

Below Post Ad