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शहीदों को तर्पण देने के लिए कवियों ने पढ़ी कविताएं

 धर्मेंद्र कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट



बस्ती।पवित्र कुआनो के पावन तट अमहट घाट पर आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत पितृपक्ष में उन ज्ञात, अज्ञात स्वाधीनता सेनानी जिन्होंने राष्ट्र रक्षा हेतु स्वयं का बलिदान कर दिया उन शहीदों को तर्पण देने के लिए राष्ट्रीय कवि संगम बस्ती इकाई द्वारा तर्पण कार्यक्रम एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया इस अवसर पर प्रांतीय अध्यक्ष डॉ राजेश कुमार मिश्र ने अनेक ऐसे महापुरुषों का स्मरण किया और शब्दों से श्रद्धांजलि दिया जिन्हें हम इतिहास में नहीं पढ़ते ,साथ ही यह अविस्मरणीय कार्यक्रम करने के लिए बस्ती इकाई का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का प्रारंभ वरिष्ठ साहित्यकार सर्वेंद्र द्विवेदी के द्वारा किया गया जिन्होंने इतिहास के पृष्ठों को पलटते हुए अमर सेनानियों को याद किया बस्ती इकाई के सहसंरक्षक राम शंकर जायसवाल जी ने बस्ती जनपद के ज्ञात अज्ञात सेनानी ,छावनी शहीद स्थल या महुआ डाबर आदि की चर्चा की ।कवि हरिकेश प्रजापति ने रचना पढ़ा 

जितनी उठी हैं लाशें , लिपटी तिरंगों में, एक एक वीर का हिसाब होना चाहिए।। युवा अनुराग ने अपने शब्दों के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किया। बस्ती जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार मयंक श्रीवास्तव जीने साहित्य और इतिहास का समन्वय स्थापित करते हुए बस्ती जनपद की अनेक घटनाओं को सभी के मध्य रखा संचालन करते हुए डॉ राजेश कुमार मिश्र ने पढ़ा



 राणा बन ना सको तो बनो ना सही, याद उनकी दिलों में बसाये रहो।। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि बस्ती इकाई के संरक्षक डॉ वीरेंद्र त्रिपाठी ने तर्पण पर अपनी रचना पढ़ी और उन्होंने सभी से आह्वान किया कि ऐसे कार्यक्रम निरंतर चलते रहना चाहिए 

श्रद्धा के दो पुष्प समर्पित अपने परम पिताओं को।

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