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तो इस बार एक साथ कुल 11 दिन बेटियाँ केंद्र में रहेंगी !

स्वप्निल

क्या हो गया, बेटी खुश तो रहेगी न ! पर कहीं भी उसके मन में यह नहीं आएगा कि एक छोटा टुकड़ा बेचकर दूसरी बेटी को आत्मनिर्भर बना दे ! 

आज बेटी दिवस है, कल से नवरात्र शुरू है ! तो इस बार एक साथ कुल 11 दिन बेटियाँ केंद्र में रहेंगी ! इस बीच जिस किसान ने अपनी जमीन बेच कर बेटी की शादी की थी ! उसका दामाद शराबी और जुआरी निकलेगा ! बेटी की पिटाई करेगा ! लोग समझाएंगे, कुछ समय शांत रहेगा ! वो फिर पिटाई करेगा ! थक-हार कर किसान घरेलू हिंसा का केस दर्ज करेगा ! जिसके लिए वो फिर जमीन बेचेगा ! साथ ही मन मे यह भाव रखेगा कि एक छोटा टुकड़ा और बेचकर दामाद को दे ही दे ! क्या हो गया, बेटी खुश तो रहेगी न ! पर कहीं भी उसके मन में यह नहीं आएगा कि एक छोटा टुकड़ा बेचकर दूसरी बेटी को आत्मनिर्भर बना दे ! 

किसान एक उदाहरण है ! आम निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों में बेटियां आज भी उत्सव नहीं एक ऐसी जिम्मेवारी हैं, जिससे हर कोई यथाशीघ्र निवृत हो जाना चाहता है ! और इसका मार्ग शादी से होकर जाता है ! फिर उसके बाद मूल्यों का ऐसा गठजोड़ कि आप घुटते रहो, पर कुछ कहो नहीं ! अधिकतर मामलों में जुबान तब खुलती है जब जान पर बन आती है ! 


बेटी दिवस पर उत्सव मनाइए, खूब मनाइए ! पर साथ ही यह प्रण लीजिये कि आप अपनी जमा-पूंजी में पहली प्राथमिकता उसकी आत्मनिर्भरता को रखेंगे, शादी दूसरी होगी ! और शादी के लिए नहीं भी रख पाए तो कोई बात नहीं, वो खुद रख लेगी ! समय और माहौल बदल रहा है ! शादी के सात जन्मों का बंधन वाली मान्यता अब टूट रही है ! ईश्वर न करे ऐसा हो, पर अगर सम्बंध-विच्छेद का मामला बनता भी है तो आत्मनिर्भर रहेगी तो उसके बाद भी अपना जीवन देख लेगी आपके सहयोग के बिना ! हाँ, आपसे प्रेम की अपेक्षा जरूर होगी ! पर किसी भी सूरत में उसे अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए, दूसरों पर निर्भर मत बनाइये ! बेटी दिवस पर इतना कर सकते हैं तो जरूर करिए ! जय जय ! 

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