भाईयों मे बंटवारा कैसे आ जाता हैं?
कहते है नाभिबंधन का रिश्ता अटूट विश्वास का होता है तो फिर साथ खेलते कुदते बडे होने वाले भाईयों मे बंटवारा कैसे आ जाता हैं?
घर आप का पृष्ठभूमि आपकी, फिर यह नौबत आई कैसे?
सीधी सी बात है जैसे हम अलग अलग जन्म लेने के बाद जब किसी से पाणिग्रहण (शादी) करते है तो उस शादी की बिंदु होती हैं सर्मपण और सर्मपण हमेशा जोड़ कर रखती हैं जबकि रिश्तों में स्वार्थ पतन का कारण बनता है और यही से शुरुआत होती हैं बंटवारे का,
पहले के जमाने में
बंटवारें की नौबत नहीं आती थी और अगर आती थी तो संयुक्त रूप से मिलजुलकर होती थी ताकि किसी को भावात्मक चोट न लगें लेकिन अब उल्टा हैं यानि कि जितना हो सके उतना कमजोर को दबाकर रखें भले ही वह सगा भाई ही क्यों न हो.
भला अब किसे अटूट रिश्ता कहें वह जो दूसरे परिवार से आई हैं या उसे जो नाभिबंधन मे बंधकर भी घातक साबित हो रहा है,
सोच बदलिए क्योंकि घन, दौलत, जवानी, दंबगई सभी वक्त के साथ घुमिल पड़ जाएगा लेकिन रक्त की पुकारा रक्त में रह जाएगी।