गुरु वशिष्ठ के सम्मान में बस्ती जिले का नाम रखने का प्रस्ताव
प्रस्ताव का यह है आधार
प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि भगवान श्रीराम के कुलगुरु महर्षि वशिष्ट का आश्रम होने के कारण इस क्षेत्र का नाम पुरातनकाल में वशिष्ठी था। यहीं स्थित मखौड़ा धाम में राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। ऐसे में बस्ती जिले का नाम वशिष्ठनगर अथवा वशिष्ठी किए जाने में कोई प्रशासनिक आपत्ति नहीं है। बस्ती 1865 में गोरखपुर से अलग होकर नया जिला बना। इसे 1997 में अलग मंडल बनाया गया।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ की धरती बस्ती का नाम जल्द ही बदलकर वशिष्ठनगर किया जाएगा। जिले का नाम बदलने के लिए जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने 26 मई को राजस्व परिषद को प्रस्ताव भेज दिया है। नाम बदलने की राह में सबसे बड़ी समस्या अभिलेखों, साफ्टवेयर, होर्डिंग, बोर्ड, वाल पेंटिंग आदि पर होने वाले खर्च को लेकर थी, जिसका समाधान हो गया है। जिले के सभी सरकारी विभाग मिलकर खर्च वहन करेंगे।
इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदले जाने के बाद 2019 में बस्ती जिले का नाम बदलकर वशिष्ठनगर करने की मांग उठी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बस्ती मेडिकल कालेज का नाम महर्षि वशिष्ठ के नाम पर करने की करेंगे। घोषणा की तो लोगों की उम्मीदें बढ़ गईं। इस बीच सांसद हरीश द्विवेदी, विधायक अजय सिंह और संजय प्रताप जायसवाल ने जब पहल की तो राजस्व परिषद ने जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव मांगा। 16 नवंबर 2019 को तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन की ओर से प्रस्ताव भेजा गया । नाम बदलने पर जिले के सभी विभागों से सहमति प्राप्त करने के बाद बस्ती जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव दो दिन पहले शासन को भेजा गया है। इस पर आने वाला खर्च सभी विभाग मिलकर वहन करेंगे
इस में होने वाले खर्च के बारे में परिषद ने जानकारी मांगी तो एक करोड़ रुपये का खर्च बताया गया। इस खर्च को लेकर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई और प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। खर्च का निर्धारण होने के बाद अब दोबारा प्रस्ताव भेजा गया है।