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सांस्कृतिक प्रकार्य एवं आधारभूत आवश्यकताएँ

 सांस्कृतिक प्रकार्य एवं आधारभूत आवश्यकताएँ

मैलिनोवस्की ने उद्विकासवाद, प्रसारवाद, ऐतिहासिकतावाद के विरोध में अपने सांस्कृतिक प्रकार्य की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। इन्होंने सांस्कृतिक व्यवस्था को समझाने के लिए प्रकार्यवाद का सहारा लिया है। इनके अनुसार मानव और पशु में प्रमुख अन्तर है कि मानव के पास संस्कृति है और इस में संस्कृति का निर्माण उसने अपनी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया है। इसलिए इनके सिद्धान्त को 'आवश्यकता सिद्धान्त' कहा जाता है। मैलिनोवस्की कहते हैं कि मनुष्य की निम्न सात आधारभूत आवश्यकताएँ हैं—शरीर पोषण/भोजन, प्रजनन, शारीरिक आराम, सुरक्षा, गति, वृद्धि, स्वास्थ्य। इन सातों आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव ने संस्कृतियों का निर्माण किया है। इनमें से प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति मानव निर्मित विभिन्न सांस्कृतिक तत्त्वों के द्वारा होती है। इन सांस्कृतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन प्रत्येक समाज में एक समान नहीं होते, बल्कि प्रत्येक समाज में इन सांस्कृतिक तत्त्वों के प्रकार तथा स्वरूप भिन्न-भिन्न होते हैं। इसलिए प्रत्येक समाज के सांस्कृतिक ढाँचे का स्वरूप कुछ भी हो, परन्तु मानव की सात महत्त्वपूर्ण शारीरिक तथा मानसिक आवश्यकताओं की नियमित पूर्ति की योजना प्रत्येक संस्कृति में पाई जाती है।

सांस्कृतिक प्रकार्य एवं आधारभूत आवश्यकताएँ

सांस्कृतिक प्रकार्य का महत्त्व

मैलिनोवस्की का विश्वास है कि संस्कृति का कोई भी तत्त्व, अंग या इकाई ऐसी नहीं हो सकती जो कुछ भी काम न देती हो अर्थात् जो प्रकार्यहीन हो। संस्कृति का प्रत्येक तत्त्व किसी-न-किसी कार्य को करने के लिए अस्तित्व में है और उसका अस्तित्व उसी समय तक बना रहता है, जब तक वह सम्पूर्ण व्यवस्था में कोई-न-कोई कार्य करता है। किसी भी संस्कृति के संगठन का आधारभूत उद्देश्य मानव जीवन की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए कार्य करना है। सम्पूर्ण जीवन व्यवस्था को बनाए रखने में प्रत्येक सांस्कृतिक तत्त्व का कुछ-न-कुछ प्रकार्य होता है। इसलिए संस्कृति के प्रत्येक तत्त्व का प्रत्येक दूसरे तत्त्व के साथ आन्तरिक व प्रकार्यात्मक सम्बन्ध होता है। जिसके फलस्वरूप ये असंख्य सांस्कृतिक तत्त्व एक-दूसरे से पृथक् नहीं,

बल्कि एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हैं। यह सब मिलकर संस्कृति को एक समग्रता प्रदान करते हैं। मैलिनोवस्की के अनुसार, संस्कृति के संगठन का प्रधान कारण उस संस्कृति की प्रत्येक इकाई द्वारा किया जाने वाला प्रकार्य है। सांस्कृतिक संगठन के सन्दर्भ में यही मैलिनोवस्की का प्रकार्यवादी सिद्धान्त है।

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